Rajeev kapoor : 68 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है। इस पुरस्कार में हिंदी फिल्मों के अलावा और भी अन्य भाषाओं की फिल्में धमाल मचाती हुई नजर आ रही है। इस बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में अजय देवगन की तानाजी: अनसंग वॉरियर और साउथ सुपरस्टार सूर्या की सोराराई पोतरू का बोलबाला देखने को मिला। इन दोनों ही फिल्मों ने नेशनल फिल्म अवॉर्ड में बड़ी उपाधि हासिल की है। इस अवॉर्ड शो में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार एक और फिल्म चमकती हुई दिखी जिस वजह से सिर्फ 3 लोग ही नहीं बल्कि सभी लोगों का दिल जीत लिया। यह फिल्म है ‘तुलसीदास जूनियर।’

Rajeev kapoor : बेस्ट फिल्म होने का अवार्ड जीत लिया

‘तुलसीदास जूनियर’ फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म होने का अवार्ड जीत लिया है। इस फिल्म को लेकर फिल्म के सुपरस्टार रणधीर कपूर का रिएक्शन सामने आया है। हम आपको बता दें कि ‘तुलसीदास जूनियर’ फिल्म कपूर खानदान के जाने माने अभिनेता राजीव कपूर (Rajeev kapoor) की आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म के बाद उन्होंने 30 साल बाद दुबारा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना कदम रखा। लेकिन अफसोस क्योंकि उनकी फिल्म रिलीज होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। यह फिल्म 21 मई 2022 को रिलीज हुई थी।

Rajeev kapoor

फिल्म ‘तुलसीदास जूनियर’ को 21 मई 2022 को टीवी के साथ साथ 2 दिन बाद नेटफ्लिक्स पर भी रिलीज किया गया था। इस फिल्म में राजीव कपूर के साथ आपको संजय दत्त और चाइल्ड एक्टर वरुण बुद्धदेव अहम रोल निभाते हुए दिखेंगे। इनके साथ साथ आपको दिलीप ताहिल भी अहम रोल निभाते हुए दिखेंगे।

Rajeev kapoor : ‘तुलसीदास जूनियर’ के नेशनल अवॉर्ड जीतने पर बोले रणधीर कपूर

पिंकविला से बात करते हुए रणधीर कपूर ने अपने भाई राजीव कपूर (Rajeev kapoor) की फिल्म को मिले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की खुशी व्यक्त की। रणधीर कपूर ने बताया कि वह बहुत ज्यादा खुश है, यह बहुत ही अच्छी फिल्म रही है। रणधीर कपूर का कहना है कि सभी ने काफी अच्छी एक्टिंग की है इस फिल्म में। रणधीर कपूर ने कहा कि अगर मेरा भाई अभी होता तो मैं उन्हें जरूर कुछ ना कुछ देता।

Rajeev kapoor : तुलसीदास जूनियर की कहानी

‘तुलसीदास जूनियर’ की कहानी एक स्नूकर प्लेयर मृदुल तुलसीदास के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फिल्म में तुलसीदास अपने बेटे के लिए स्नूकर खेलता है, लेकिन वह अपने किसी दुश्मन से हार जाता है। इसके बाद तुलसीदास का बेटा इस खेल का टूर्नामेंट खेलता है और वह जीत जाता है। इस फिल्म की कहानी तुलसीदास के बेटे मृदुल तुलसीदास की जिंदगी पर बनाई गई है।

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