डॉ भीम राव अम्बेडकर या भीमराव रामजी अम्बेडकर को भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता था। प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को, भारतीय राजनीति की महान हस्तियों में से एक की जयंती को चिह्नित करने के लिए लोग अम्बेडकर जयंती 2022 मनाते हैं। डॉ. अम्बेडकर जयंती सार्वजनिक रूप से पुणे में 1928 में एक जनार्दन सदाशिव रणपिसे, एक ‘अम्बेडकरवादी’ और एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा मनाई गई थी।

उनके कार्यों के लिए, उन्हें मरणोपरांत 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें सही के लिए एक स्टैंड लेने के लिए जाना जाता था और वे देश में निचली जातियों और महिलाओं के अधिकारों के लिए खड़े थे। जैसा कि लोग 131 वीं अम्बेडकर जयंती मनाएंगे और इस वर्ष महान नेता को याद करेंगे, बी आर अम्बेडकर के शीर्ष प्रेरणादायक उद्धरण यहां दिए गए हैं।

डॉ बीआर अम्बेडकर के 60+ शीर्ष प्रेरणादायक और प्रेरक उद्धरण:

• राजनीति में हिस्सा ना लेने का सबसे बड़ा दंड यह है कि अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगता है।

• एक विचार को प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है जितना कि एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझाएंगे और मर जायेंगे।

• बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।

• छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है।

• मैं बहुत मुश्किल से इस कारवां को इस स्थिति तक लाया हूं। यदि मेरे लोग, मेरे सेनापति इस कारवां को आगे नहीं ले जा सकें, तो पीछे भी मत जाने देना।

• महात्‍मा आये और चले गये। परन्‍तु अछुत, अछुत ही बने हुए हैं।

• वर्गहीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जातिविहीन करना होगा।

• पानी की बूंद जब सागर में मिलती है तो अपनी पहचान खो देती है। इसके विपरीत व्यक्ति समाज में रहता है पर अपनी पहचान नहीं खोता। इंसान का जीवन स्वतंत्र है। वो सिर्फ समाज के विकास के लिए पैदा नहीं हुआ बल्कि स्वयं के विकास के लिए भी पैदा हुआ है।

• राजनीतिक अत्याचार, सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है। समाज को बदनाम करने वाले सुधारक सरकार को नकारने वाले राजनेता की तुलना में अधिक अच्छे व्यक्ति हैं।

• मैं समझता हूं कि कोई संविधान चाहे जितना अच्छा हो, वह बुरा साबित हो सकता है, यदि उसका अनुसरण करने वाले लोग बुरे हों। एक संविधान चाहे जितना बुरा हो, वह अच्छा साबित हो सकता है, यदि उसका पालन करने वाले लोग अच्छे हों।

• राष्‍ट्रवाद तभी औचित्‍य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नस्‍ल या रंग का अन्‍तर भुलाकर उनमें सामाजिक भ्रातृत्‍व को सर्वोच्‍च स्‍थान दिया जाये।

• जो कौम अपना इतिहास नही जानती है, वह कौम कभी अपना इतिहास नही बना सकती है।

• महान प्रयासों को छोड़कर इस दुनिया में कुछ भी बहुमूल्‍य नहीं है।

• एक सफल क्रांति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि असंतोष हो। जो आवश्यक है वह है न्याय, आवश्यकता, राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के महत्व पर गहन और गहन विश्वास।

• यदि आप मन से स्वतंत्र हैं तभी आप वास्तव में स्वतंत्र हैं।

• हमें जो स्वतंत्रता मिली है उसके लिए हम क्या कर रहे हैं? यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली है। जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करती है।

• अगर मुझे लगा कि मेरे द्वारा बनाये गए संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो सबसे पहले मैं इसे जलाऊंगा।

• स्‍वतंत्रता का अर्थ साहस है, और साहस एक पार्टी में व्‍यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है।

• शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरुषों के लिए। 

• ज्ञान हर व्‍‍यक्ति के जीवन का आधार है।

• आज भारतीय दो अलग-अलग विचारधाराओं द्वारा शासित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान के प्रस्तावना में इंगित हैं वो स्वतंत्रता, समानता और भाई -चारे को स्थापित करते हैं और उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।

• यदि हमें अपने पैरों पर खड़े होना है, अपने अधिकार के लिए लड़ना है, तो अपनी ताकत और बल को पहचानो। क्योंकि शक्ति और प्रतिष्ठा संघर्ष से ही मिलती है।

• मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूं।

• हालांकि मैं एक हिंदू पैदा हुआ था। लेकिन मैं सत्य निष्ठा से आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं हिन्दू के रूप में मरूंगा नहीं।

• मंदिर जाने वाले लोगों की लंबी कतारें, जिस दिन पुस्तकालय की ओर बढ़ेंगी। उस दिन मेरे इस देश को महाशक्ति बनने से कोई रोक नही सकता है।

• इस पूरी दुनिया में गरीब वही है, जो शिक्षित नहीं है। इसलिए आधी रोटी खा लेना, लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाना।

• ज्ञानी लोग किताबों की पूजा करते हैं, जबकि अज्ञानी लोग पत्थरों की पूजा करते हैं।

• जिसे अपने दुखों से मुक्ति चाहिए, उसे लड़ना होगा। और जिससे लड़ना है उसे उससे पहले अच्छे से पढ़ना होगा। क्योंकि ज्ञान के बिना लड़ने गए तो आपकी हार निश्चित है।

• समाजवाद के बिना दलित-मेहनती इंसानों की आर्थिक मुक्ति संभव नहीं।

• कुछ लोग सोचते हैं कि धर्म समाज के लिए आवश्यक नहीं है। मैं यह दृष्टिकोण नहीं रखता। मैं धर्म की नींव को समाज के जीवन और प्रथाओं के लिए आवश्यक मानता हूं।

• शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।

• मैं एक समुदाय की प्रगति को उस प्रगति की डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।

• यदि हम आधुनिक विकसित भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों को एक होना पड़ेगा।

• समाज को श्रेणीविहीन और वर्णविहीन करना होगा क्योंकि श्रेणी ने इंसान को दरिद्र और वर्ण ने इंसान को दलित बना दिया। जिनके पास कुछ भी नहीं है, वे लोग दरिद्र माने गए और जो लोग कुछ भी नहीं है वे दलित समझे जाते हैं।

• संविधान केवल वकीलों का दस्‍तावेज नहीं है बल्कि यह जीवन जीने का एक माध्‍यम है।

• एक इतिहासकार सटीक, ईमानदार और निष्‍पक्ष होना चाहिए।

• जो झुक सकता है वो झुका भी सकता है।

• संवैधानिक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं हैं जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते।

• अच्छा दिखने के लिए नहीं, बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ।

• जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।

• क़ानून और व्यवस्था, राजनीतिक शरीर की दवा है। जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए।

• देश के विकास के लिए नौजवानों को आगे आना चाहियें।

• जो धर्म जन्‍म से एक को श्रेष्‍ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।

• यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं, तो सभी धर्मों के धर्मग्रंथों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।

• धर्म मनुष्य के लिए बना है न कि मनुष्य धर्म के लिए।

• मैं राजनीतिक सुख भोगने नहीं बल्कि नीचे दबे हुए अपने भाईओं को अधिकार दिलाने आया हूँ।

• हो सकता है कि समानता एक कल्पना हो, पर विकास के लिए यह ज़रूरी है।

• मेरी प्रशंसा और जय-जय कार करने से अच्छा है, मेरे दिखाये गए मार्ग पर चलो।

• भाग्य से ज्यादा अपने आप पर विश्वास करो। भाग्य में विश्वास रखने के बजाय शक्ति और कर्म में विश्वास रखना चाहिए।

• आप स्वाद को बदल सकते हैं परन्तु जहर को अमृत में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।

• एक सुरक्षित सेना एक सुरक्षित सीमा से बेहतर है।

• धर्म पर आधारित मूल विचार व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिए एक वातावरण बनाना है।

• शिक्षा वो शेरनी है। जो इसका दूध पिएगा वो दहाड़ेगा।

• इतिहास गवाह है जब नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष हुआ है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है।

• समाज में अनपढ़ लोग हैं ये हमारे समाज की समस्या नही है। लेकिन जब समाज के पढ़े लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगते हैं और गलत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते हैं, यही हमारे समाज की समस्या है।

• हमारे संविधान में मत का अधिकार एक ऐसी ताकत है जो कि किसी ब्रह्मास्त्र से कही अधिक ताकत रखता है।

• निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो।

• मनुवाद को जड़ से समाप्‍त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्‍य है।

• मन का संवर्धन मानव अस्तित्व का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए।

• उदासीनता सबसे खतरनाक बीमारी है जो लोगों को प्रभावित कर सकती है।

• देश के विकास से पहले हमें अपनी बुद्धि के विकास की आवश्यकता है।

• न्याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।

• हम आदि से अंत तक भारतीय हैं।

• पति – पत्नी के बीच का सम्बन्ध घनिष्ठ मित्रों के सम्बन्ध के सामान होना चाहिए।

• हिंदू धर्म में, विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।

• एक महान व्यक्ति एक प्रख्यात व्यक्ति से एक ही बिंदु पर भिन्न है कि महान व्यक्ति समाज का सेवक बनने के लिए तत्पर रहता है।

• जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है।

• हमारे देश के संविधान में मतदान का अधिकार एक ऐसी ताकत है, जो किसी ब्रह्मास्त्र से कहीं अधिक ताकत रखता है।

• अन्याय से लड़ते हुए आपकी मौत हो जाती है, तो आपकी आने वाली पीढ़ियां उसका बदला जरूर लेंगी। और अगर अन्याय सहते हुए आपकी मौत हो जाती है, तो आपकी आने वाली पीढ़ियां भी गुलाम बनी रहेंगी।

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