श्रीलंका में जारी गंभीर आर्थिक संकट के बीच भारत का एक और पड़ोसी देश नेपाल गरीबी की ओर बढ़ रहा है हिमालय की गोद में बसा नेपाल इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है खाने पीने से लेकर हर जरूरी सामान के लिए भारत एवं दूसरे देशों पर निर्भर नेपाल का सरकारी खजाना पूरी तरह से खाली हो गया।
नेपाल इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है
हालत यह है कि देश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर महाप्रसाद अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है देश के वाहनों ने महंगे लग्जरी वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी गई है देश का विदेशी मुद्रा भंडार $10 के नीचे भी रह गया है ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि नेपाल की बदहाली के पीछे का क्या कारण हो सकता है नेपाल एक आयत केंद्र देश है देश में उत्पादन गतिविधियां काफी सीमित है सोयाबीन तेल को छोड़कर नेपाल अपनी जरूरत की सभी चीजों को बाहर से आयात करता है देश में पेट्रोल ,डीजल,दाल ,चावल ,नमक जैसी मूलभूत जरूरतों से लेकर महंगी कार और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का जमकर निर्यात होता है इसलिए विदेशी मुद्रा भंडार जरूरत है लेकिन नेपाल में विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई 2021 से गिरावट आ रही है वजह से और भी ज्यादा मुसीबत आ गई है केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2022 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 17% घटकर $9000000000 रह गया जो जुलाई 2021 के मध्य तक 11 पॉइंट 75 अरब डॉलर तक था।
नेपाल दुनिया का सबसे प्रमुख पर्यटन केंद्र है एवरेस्ट की चढ़ाई का सबसे मुफीद रास्ता नेपाल में ही है देश की जीडीपी में भी पर्यटन से होने वाली आय का सबसे बड़ा योगदान है लेकिन 2020 में कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से वहां का टूरिज्म काफी हो गया और 2 साल में तो वहां पर गिने-चुने पर्यटक ही पहुंच रहे हैं आपको बता दें कि पिछले 2 साल में सिर्फ पिछले महीने यानी मार्च 2022 में सबसे अधिक 42000 पर्यटक नेपाल पहुंचे हैं वहीं चीन की बढ़ती नजदीकी नेपाल की इस दशा की वजह है दरअसल नेपाल परंपरागत रूप से भारत का सहयोगी रहा है लैंडलॉक्ड कंट्री होने की वजह से भारत होते हुए सामान का याद करना पड़ता है लेकिन पिछले कई दशक से नेपाल में चीन के साथ नजदीकी बढ़ाई है चीन नेपाल तक रेल लाइन बिछा रहा है ऐसे में चीन से नजदीकीmभारत से दूर ले गई वही सीमा विवाद की वजह से कटी है इनके आयात में रुकावट आती है।
भारत से गेहूं ,चावल आयात करना सस्ता पड़ता है वही भौगोलिक स्थिति की वजह से चीन का सामान भी नेपाल पहुंचकर महंगा हो जाता है नेपाल में राजशाही के समाप्त होने के बाद वहां राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी शुरू हो गया था 28 मई 2008 को नेपाल की इतिहास की राजवंश युग का अंत हो गया राजशाही के अंत के बाद लोगों ने वहां लोकतंत्र की बहाली की मौत लगाई थी लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट नेपाल के हाथ में इन दोनों में से कुछ नहीं आया सरकारी टूटती बनती रही फिर नेपाल की संसद आम चुनाव के 3 वर्ष बाद भंग कर दी गई है।