Swastik on Main Door : हिंदू मान्यता के अनुसार स्वास्तिक चिन्ह को शुभ माना जाता है। यह दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। ‘सु’ का मतलब है शुभ और ‘अस्ति’ का अर्थ है होना। इसका मतलब स्वास्तिक का मूल अर्थ है, ‘शुभ हो’, ‘कल्याण हो’। स्वास्तिक का प्रयोग हर शुभ काम मे होता है। इसे भगवान गणेश जी का भी प्रतीक माना जाता है। इसीलिए लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर पूरी श्रद्धा के साथ स्वास्तिक बनाते हैं। इस सातिया भी कहते है। ऐसी मान्यता है कि सही समय पर सही जगह बनाया गया स्वास्तिक बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र में भी घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना अच्छा माना गया है। आइए हम आपको बताते हैं कि स्वास्तिक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Swastik on Main Door

Swastik on Main Door : स्वास्तिक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

● घर के मुख्य द्वार पर हमेशा सिंदूर से ही स्वास्तिक बनाना चाहिए जिससे घर में सुख और समृद्धि आती है।

● घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाते समय ध्यान रखें कि वह धूल मिट्टी से गंदा ना हो।

● मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि इसके आसपास जूते चप्पल ना खोलें।

● स्वास्तिक बनाते समय इसके आकार का भी ध्यान रखना चाहिए।

● वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि वास्तु दोषों को दूर करने के लिए नो अंगुली कितना लंबा और चौड़ा स्वास्तिक बनाना चाहिए।

● अगर आपके घर के सामने कोई पेड़ या खंबा है तो वह नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसके दुष्प्रभावों को रोकने के लिए हर रोज मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना चाहिए।

● याद रखें मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाते समय पीपल, आम या अशोक के पत्तों की माला बांधे। ऐसा करना शुभ माना जाता है।

● मुख्य द्वार के अलावा आप घर के आंगन के बीचो-बीच भी स्वास्तिक बना सकते है। मान्यता है कि आंगन के बीच पितृ निवास करते है और वे अपना आशीर्वाद बनाकर रखते है।

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