Laddu Gopal: ऐसा कहा जाता है कि भगवान भक्त के वश में होते हैं। भक्त जैसा चाहें वैसे रूप में अपनी श्रद्धा और आस्था से भगवान को उस रूप में देखते हैं। ऐसा ही एक प्यार भरा मंजर सामने आया है। जालौन की रहने वाली निधि राजावत ने अपने लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) के 5 साल होने पर उन्हें प्रेप में एडमिशन दिलाया है। यह छोटे से नन्हे लड्डू गोपाल अपना यूनिफॉर्म बैग, लंच बॉक्स और वाटर बोतल लेकर स्कूल में आए हैं। स्कूल के छात्रों ने लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) का स्वागत फूलों की वर्षा कर कर किया। क्लास में लड्डू गोपाल के लिए अलग से ही छोटी सी कुर्सी और बेंच लगाया गया है।
Laddu Gopal: लड्डू गोपाल का एडमिशन हो चुका
उरई के एनएसटी पब्लिक स्कूल में हर बच्चा अपने साथ लड्डू गोपाल को पढ़ता देखकर बड़ा ही खुश नजर आ रहा हैं। लड्डू गोपाल का एडमिशन हो चुका है, लड्डू गोपाल का नाम है माधव। लड्डू गोपाल की स्कूल की कुर्सी और छह बाकी बच्चों से अलग लगाई गई है। स्कूल में छोटे-छोटे बच्चे लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) को देखकर बहुत खुश है। लड्डू गोपाल हफ्ते में एक दिन स्कूल आया करेंगे और निधि स्कूल में पढ़ाई जाने वाली हर चीज का रिवीजन घर पर दोबारा लड्डू गोपाल को करवाएगी।
यह भगवान और भक्त की प्यार भरी कहानी पहली बार सामने आई है। ऐसा पहली बार देखा गया है कि लड्डू गोपाल को स्कूल में एडमिशन कराया गया है। स्कूल के शिक्षक-शिक्षिका को भी यह नए छात्र बड़े ही पसंद आ रहे हैं। लड्डू गोपाल गले में आईकार्ड, स्कूल ड्रेस में सुसज्जित, लंच बॉक्स, पानी की बोतल, बस्ता सब उनके साथ था।
Laddu Gopal: लड्डू गोपाल की कोई फीस नहीं
जालौन की रहने वाली निधि राजावत के दो बच्चे हैं प्रद्युम्न और पायल। यह दोनों बच्चे उरई के एक स्कूल में पढ़ाई करते हैं। लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) अभी काफी छोटे हैं, इसलिए निधि उन्हें दूर के स्कूल में नहीं एडमिशन करवा रही। इसीलिए निधि ने पास ही कि स्कूल में लड्डू गोपाल का एडमिशन करवाया है ताकि उन्हें बस से अकेला ना भेजना पड़े। किसान परिवार में रहने वाली निधि का कहना है कि हम सभी अपने 5 साल के बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं तो फिर लड्डू गोपाल को क्यों नहीं?
लड्डू गोपाल का एडमिशन होने पर स्कूल वालों ने लड्डू गोपाल की कोई फीस नहीं ली है। भगवान के प्रति निधि का प्यार देखकर सभी वैसे ही आश्चर्यचकित हो गए हैं। विद्यालय के बच्चों का कहना है कि हमारे साथ लड्डू गोपाल पढ़ रहे हैं, इससे अच्छा हमारे लिए और क्या हो सकता है।