Shiv Nandi Story : क्यों मांगते है नन्दी के कानों में इच्छा, ये है कारण, ऐसे बने नन्दी शिव जी के खास

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Shiv Nandi Story

Shiv Nandi Story : यह तो छोटे बच्चे भी जानते हैं कि शिव जी का वाहन नंदी है। शिव भगवान के मंदिर में नंदी जी की मूर्ति हमने अक्सर मंदिर के बाहर देखी है। शिव और नंदी जी का रिश्ता कुछ इस तरह का है कि जहां शिव होंगे वहां नंदी पाए जाएंगे। शिवजी की पूजा के साथ साथ पार्वती जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी की पूजा होती है लेकिन इनके परिवार के साथ नंदी जी का भी पूजन किया जाता है। भगवान शिव जी के वाहन नंदी जी मेहनत के प्रतीक है। जब भी हम शिवजी के मंदिर में जाते हैं तो शिवजी से पहले नंदी जी के दर्शन होते है। आखिर में क्यों शिवजी को नंदी इतने ज्यादा प्रिय हैं। नंदी जी क्या है? आज हम आपको बताएंगे नंदी जी के कानों में मन्नत मांगने का क्या मतलब है।

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Shiv Nandi Story : क्यों कही जाती है नंदी जी के कानों में मनोकामनाएं

हम आपको बता दें कि नंदी जी की पूजा के बिना शिवजी की पूजा अधूरी मानी जाती है। नंदी जी के कानों में अपनी मन्नत मांगना यह प्रथा युगो युगो से मानी जा रही है। यह कहा जाता है कि शिव भगवान हमेशा तपस्या में लीन रहते हैं। जब शिवजी तपस्या में लीन रहते हैं तब नंदी जी सभी भक्तों की मनोकामनाएं सुनते हैं और जब शिवजी तपस्या से बाहर आ जाते हैं तो नंदी जी उन्हें अपने भक्तों की मन्नत बताते हैं। इसके बाद शिव जी अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

इस तरह शिव जी के प्रिय बन गए नंदी:
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुंद्र मंथन के समय जो वस्तु है समुंद्र से निकलती उसके लिए देवता और असुरों में युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में जब समुद्र मंथन के वक्त विष निकला था उसे शंकर भगवान ने पीकर संसार की रक्षा की थी। जब शिवजी विष पी रहे थे उस समय विष की कुछ बूंदे जमीन पर गिर गई जिसे फिर नंदी जी ने पी लिया। शिवजी के प्रति नंदी का यह प्यार देखकर शिव जी ने नंदी को अपने सबसे बड़े भक्त होने की उपाधि दे दी। और तो और शिव जी ने कहा कि जब जब शिवजी की आराधना की जाएगी तो उस आराधना में नंदी जी को भी शामिल किया जाएगा। इसलिए नंदी जी शिवजी को इतने प्रिय है।

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