Jhansi: यूपी के झांसी (Jhansi) में बड़े बाजार में स्थित मुरली मनोहर का प्राचीन मंदिर देश दुनिया के सबसे अनोखे मंदिर में से एक माना जाता है। इस मंदिर के अनोखे होने की यह वजह है कि मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद मुरली मनोहर मंदिर दुनिया का संभवत यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसमें राधा-कृष्ण के साथ रुकमणी माता की भी पूजा की जाती है। इस विशेषता के कारण जन्माष्टमी के दिन दूर दूर से भारी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं।

झाँसी (Jhansi) में इस प्राचीन मंदिर की स्थापना 1780 में की गई। पूरे 5 साल तक मंदिर का कार्य चलता रहा और उसके बाद 1785 में मूर्तियां स्थापित की गई। मंदिर के पुजारी वसंत गोलवलकर ने रिपोर्टर से बात करते हुए बताया कि इस मंदिर को झांसी (Jhansi) की महारानी लक्ष्मीबाई और महाराज गंगाधर राव की माताजी के कहने पर बनवाया गया था। इस प्राचीन मंदिर के सबसे पहले पुजारी का नाम रामचंद्र राव है। वह पुजारी, मराठा परिवार के राजपुरोहित थे।

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Jhansi : लक्ष्मीबाई का मायका है ये मंदिर

इस मंदिर की स्थापना में लक्ष्मी बाई की सास का भी योगदान है। लेकिन फिर भी इस मंदिर को लक्ष्मीबाई के मायके के नाम से जाना जाता है। पंडित गोलवलकर का कहना है कि गंगाधर राव की आयु जब 27 वर्ष हो गई थी, तो उनकी शादी की चिंता उनकी मां को सताने लगी थी। ऐसी स्थिति में पुजारी रामचंद्र राव को यह आदेश दिया गया था कि वह गंगाधर राव के लिए मराठा परिवार में शादी की बात रखें। राजपुरोहित रामचंद्र राव ने अपने साडू की पुत्री मनु बाई को विवाह के लिए चुना और मनु बाई विवाह के बाद महारानी लक्ष्मी बाई हो गईं।

Jhansi : लक्ष्मीबाई के पिता ने यहां रहे थे

अपनी बेटी मनु की शादी के बाद मोरोपंत तांबे कुछ समय तक झाँसी (Jhansi) स्थित मुरली मनोहर मंदिर में ही रहा करते थे। मंदिर के पंडित ने बताया कि मंदिर के ऊपर बने भव्य कक्ष में कुछ समय तक मोरोपंत रहा करते थे। जब लक्ष्मी बाई मंदिर में पूजा करने आया करती थी। तब वह अपने पिता से भी मुलाकात कर लिया करती थी। इस कारण इस मंदिर को लक्ष्मीबाई के मायके की उपाधि दी गई है।

Jhansi : राधा कृष्ण और रुक्मणि की भी होती है पूजा

ढाई सौ साल से पुराने इस मंदिर में हो रही राधा कृष्ण और रुक्मणी की पूजा को लेकर यहाँ के पंडित ने बताया कि उत्तर और दक्षिण दिशा को साथ में लाने के लिए हमने यह मूर्तियां साथ में रखी है। यह तो हम सभी जानते हैं कि उत्तर भारत में राधा रानी को सबसे ज्यादा पूजा जाता है, तो वहीं दूसरी और दक्षिण में रुक्मणी जी का बोलबाला है। इस कारण इन तीनों मूर्तियों को स्थापित किया गया है।

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