Uttarpradesh News : लखीमपुर में कुछ समय से बाघिन की वजह से आतंक का माहौल बना हुआ था। लेकिन फिलहाल बाघिन को पिंजरे में कैद कर लिया गया है। इससे पहले भी एक बाघ को पिंजरे में कैद कर लिया गया था। हाल ही में कुछ समय पहले बाघिन ने आसपास के क्षेत्रों में लोगों पर हमला किया था। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने जब बाघ की जांच की तो पूरा मामला सामने आया।

विशेषज्ञों ने जब बाघ के दांत और नाखून की जांच की तो उन्हें सुरक्षित पाया गया। बाघ को पकड़ने के बाद उसे जल्दी ही कतरनिया के जंगल में छोड़ा गया। वही खतरनाक बाघिन को पकड़ा गया है और उसे पिंजरे में कैद किया गया है जिसे आप लखनऊ के चिड़ियाघर में देख पाएंगे।

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Uttarpradesh News : बाघ व बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए गए

कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग व लखीमुपर जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व के बीच आंतक का पर्याय बने बाघ व बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए गए थे। हाल ही 29 जून को फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने बाघ को पकड़कर पिंजरे में डाल दिया था। उसे पकड़ने के बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों को राहत की सांस मिली। बाघ को पकड़ने के बाद उसका मल प्रयोगशाला में भेजा गया। लेकिन शिकार को लेकर ऐसा कोई भी मामला सामने अभी तक नहीं आया है। दूसरा पिंजरा लगाने के साथ ही उच्च क्षमता के कैमरे भी प्रभावित क्षेत्र में लगाए गए। आखिकार एक बाघिन भी पिंजरे में कैद हुई।

वैज्ञानिकों का कहना है कि बाघिन ही मनुष्य की दुश्मन बनी हुई है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि जांच से यह पता चला है कि बाघिन ने कई बार शिकार किया है क्योंकि उसके नाख़ून और दाँत टूटे हुए पाए गए हैं। खतरे को देखते हुए बाघिन को कतर्नियाघाट या फिर लखीमपुर के जंगलों में छोड़ने के बजाए लखनऊ चिड़ियाघर ले जाने का फैसला किया गया है।

डीएफओ ने कहा है कि शासन स्तर की टीम बाघों पर पूरा ध्यान रख रही है और तो और पकड़े गए बाघ को जल्द ही जंगल में छोड़ा जाएगा। कतर्नियाघाट डीएफओ आकाशदीप बधावन ने बताया कि बाघ पूरी तरह से स्वस्थ है। उसके मल की जांच की गई है। उसमें कोई शिकार से जुड़े अवयव नहीं पाए गए।

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