Home UP Lucknow: लखनऊ में है ढाई सौ साल पुराना चमत्कारी वट वृक्ष, अंदर जाने पर रास्ता भूल जाते है लोग

Lucknow: लखनऊ में है ढाई सौ साल पुराना चमत्कारी वट वृक्ष, अंदर जाने पर रास्ता भूल जाते है लोग

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Lucknow: लखनऊ में है ढाई सौ साल पुराना चमत्कारी वट वृक्ष, अंदर जाने पर रास्ता भूल जाते है लोग

Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में एक ऐसा बरगद का पेड़ पाया गया है, जिसके अंदर लोग घूमने चले जाते हैं और फिर रास्ता भटक जाते हैं। यह बरगद का पेड़ करीब एक एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। इस पेड़ को करीब ढाई सौ साल पुराना बताया जा रहा है और तो और वट सावित्री के दिन इस पेड़ के पास गांव में मेला भी लगता है। इस बरगद के पेड़ से ढाई किलो मीटर की दूरी पर माता चंद्रिका देवी का मंदिर है।

गांव के लोगों का ऐसा कहना है कि चंद्रिका मंदिर से ढाई किलोमीटर पीछे हरिवंश नामक बाबा तपस्या किया करते थे। ऐसा कहा जाता है कि हरिवंश बाबा, चंद्रिका माता के बहुत बड़े भक्त बताए जाते थे। और तो और बाबा रोजाना माता के दर्शन करने आते थे।

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Lucknow : जमीन में जीवित समाधि ले ली

लखनऊ (Lucknow) के इस गांव के लोगों का कहना है कि जब बाबा बूढ़े हो गए थे, तब वह मंदिर नहीं जा पाते थे। लोगों की यह मान्यता है कि जब बाबा बूढ़े हो गए थे, तब चंद्रिका माता ने उन्हें दर्शन देकर कहा था कि तुम यहीं से मेरी अराधना पूजा किया करो। उसके बाद से बाबा वहीं से मां चंद्रिका की पूजा करने लग गए और 1 दिन देखते ही देखते उन्होंने जमीन में जीवित समाधि ले ली।

ऐसा कहा जाता है कि बाबा के समाधि लेने के बाद ही वहां पर बरगद का पेड़ उग गया और देखते ही देखते वह काफी दूर तक फैलता चला गया। इस वृक्ष की जड़ें कितनी दूर तक फैली हुई है इसका अंदाजा आज तक नहीं पता लगा पाया है।

Lucknow : पूजा अधूरी मानी जाती है

गांव के लोगों का कहना है कि अगर कोई यात्री या भक्त चंद्रिका माता के दर्शन से पहले बाबा की समाधि का दर्शन नहीं करता है तो उसकी पूजा अधूरी मानी जाती है। गांव के लोगों का कहना है कि यहां पर कई सितारे भी आ चुके हैं। और तो और उन्होंने बाबा और चंद्रिका माता के दर्शन भी किए हैं। लेकिन गांव के कुछ लोग स्थानीय प्रशासन और सरकार से नाराज हैं क्योंकि वह इस ऐतिहासिक मंदिर पर किसी भी प्रकार की ध्यान नहीं दे रहे।

लखनऊ के इस गांव के लोग चाहते हैं कि स्थानीय प्रशासन इस धार्मिक स्थल की तरफ ध्यान दें। इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं। यहां हर वर्ष मेला लगता है और दूर-दूर के गांव के लोग इस मेले में आते है।

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