Success Story: अभिषेक नाम का व्यक्ति मटको पर पेंटिंग कर उन्हे विदेशों में बेचने का कार्य करता हैं उन्होंने बताया कि मटको पर पेंटिंग करने के लिए उन्होंने पहले दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद की महिलाओं को ट्रेनिंग दी अभिषेक ने कुछ पुरानी लिपि की पेंटिंग और पहले मंदिरों पर की जाने वाली पेंटिंग की ट्रेनिंग भी महिलाओं को दी.

कई बार खराब पड़ी वस्तुओं और समान को कई लोग अच्छे तरीके से काम में लेकर उनसे मुनाफा कमा लेते है ऐसा ही कारनामा गाजियाबाद के कौशांबी में रहने वाले अभिषेक ने किया है अभिषेक ने देखा कि नवरात्रों में काम में लिए जाने वाले मटके बाद में यूं ही खराब ही पड़े रहते थे उन्हें देख अभिषेक के दिमाग में एक आइडिया आया उस आइडिया ने अभिषेक को ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी पहचान दिला दी.

Success Story

अभिषेक ने उन खराब पड़े मटकों पर भारत की पुरानी क्लाकृतियो की पेंटिंग करना शुरू कर दिया, जिससे वह मटके बहुत ही आकर्षक लगने लगे जिसकी भी उन मटको पर नजर जाती उसका मन उन मटको को खरीदने का जरूर करता इससे अभिषेक को रोजगार के साथ-साथ पहचान भी मिली और अभिषेक ने और लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाया

अभिषेक इन मटकों पर विलुप्त होती जा रही मंजूषा आर्ट और मशहूर मधुबनी आर्ट को दर्शाते है. इसके अलावा भी विभिन्न रंग बिरंगे पैटर्न को मटकों पर बनाया जाता है. अगर खरीदार चाहे तो अपने हिसाब से अपना नाम या कोई खास मैसेज या फिर कोई कलाकृति भी इन मटकों पर लिखवा सकते हैं.

Success Story: भारत की कला को विदेशों में मिल रही पहचान

अभिषेक की कला और लग्न के कारण भारत की कलाकृति और संस्कृति को विदेशों में अलग एक अलग त पहचान मिली है. news 18 local से बात करते हुए अभिषेक बताते हैं कि उन्होंने 2 हजार से अधिक गमले विभिन्न देशों में भेज चुके हैं. और वहां से और गमलों की डिमांड आई हैं, इन मटकों की पेंटिंग की खासियत है कि इन पर पानी लगने पर भी ये खराब नहीं होते. विदेशों में इन गमलों की कीमत कई गुना ज्यादा हो जाती है. विदेशों में पुर्तगाल,स्विट्जरलैंड,जर्मनी,यूक्रेन,रूस,कनाडा और अमेरिका में एक गमला एक से डेढ़ हजार रुपए में बिक जाता हैं.

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Success Story: महिलाओं को मिला आत्मसमान

अभिषेक आगे बताते हैं कि गमलों पर पेंटिग्स बनाने के लिए उन्होंने दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में रहने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई. मधुबनी आर्ट के साथ-साथ मंजूषा आर्ट और बहुत समय पहले जो कलाकृति मंदिरों पर बनाई जाती थी उसको भी बनाने की ट्रेनिंग इन महिलाओं को दी गई. अब करीब 80 से ज्यादा महिलाएं नियमित रूप से 5 से 10 घड़े और मटकों पर पेंटिंग बना रही हैं. यह महिलाएं यहां काम कर 250 से 500 रुपये तक रोजाना कमाती हैं. इन गमलों को जिन कपड़े के थैले में पैक किया जाता है. उन थैलो का निर्माण भी इन्हीं महिलाओं के द्वारा किया जाता है.

Success Story: कुम्हारों को मिला काम

आमतौर पर मटकोंं को किसी पूजाके समय या फिर त्योहारों के समय पर ही खरीदा जाता है. कोरोना काल की मार झेल चुके सभी कुम्हारों के पास काम लगभग ठप पड़ चुका है. ऐसे में इन मटकों की बिक्री से कुम्हारों को भी रोजगार मिला है.

अभिषेक बताते है की गाजियाबाद और हरियाणा के लगभग 50 कुम्हारों से मटको की साइज के अनुसर 20 से 50 रुपये में मटके खरीदते हैं. जिस पर बाद में आकर्षित पेंटिंग बनाई जाती है.

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